कुहासे में चमकता दिखा एक दीप्त ज्योति का
सितारा
वो सूर्य नहीं, ना ध्रुव कोई, ना पृथ्वी का तारा|
है जान अरबों लोगों की, वो मान गर्व हमारा
वो सूर्य सा दीपित तिमिर को चीर कर निकला|
बलिदानों से भरा, वीर शोणित से सींचा हुआ
लहरा रहा नभ में आजा़द तिरंगा प्यारा|
-रजत द्विवेदी
-रजत द्विवेदी
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