नयन सेज पर उभरे आंसू, भींज गई है हिय की भूमि। मृदुभावों का बादल आया, बरस रही करुणा की बूंदे। निर्मोही मन के प्रदेश में, आज प्रेम का सावन आया। दयाहीन को दया मिली है, मृतकों ने नया जीवन पाया। कौन मधुरता भरा लेप यह आज मन पर लगाता है। घृणा से पीड़ित इस तन को जो शीतलता पहुंचाता है। कौन देवदूत उतरा है आज हमारे आंगन में? जिसने प्रेम सुधा बरसाई मरुभूमि से इस तन में? कौन भगीरथ आज पुनः जग के कल्याण हेतु आया। जिसने इस बंजर भूमि पर करुण गंगा को बहाया? - रजत द्विवेदी
कलम की स्याही से हर पल नया अंगार लिखता हूँ