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Showing posts from February, 2016

क्या ली तुमने है उनकी सुधि ?

क्या ली तुमने  है उनकी सुधि ? जो  भारत पर जान न्यौछार रहे भारत का मान है बढ़ा रहे भारत की आन हैं बना रखे उसके स्वर्णिम इतिहास को जो चार चाँद है लगा रहे क्या ली तुमने  है उनकी सुधि ? क्यों मूरख आज  हो बने हुए ? क्यों देशद्रोह तुम करते हो ? रोते पीटते उनका रोना जो भारत के टुकड़े  करना चाहे क्यों उसका साथ निभाते हो? याकूब,अफज़ल हैं याद तुम्हें पर भगत राजगुरु भूल गए। कहते इन  आंतकी को राजपुरुष क्यों भगत बोस  को विद्रोही कहो ? क्या ली तुमने  है उनकी सुधि ? क्यों भ्रष्ट हुई तेरी बुद्धि ? क्या धरम तुम्हारा बड़ा हुआ'? क्या कौम तुम्हारी बड़ी हुई ? क्यों मान लिया उनका लोहा जिनकी हथेली थी रकक्तसनी ? याकूब तुम्हारा भगवान हुआ अफज़ल है तुम्हारा गुरु बना पर जिस आज़ाद अपना जीवन दिया उसे छद्मवेशी आतंकी कहा । ऐसा क्या दुःख तुमको हो रहा ऐसी क्या तुमको छति लगी ? क्यों ना तुमने उनकी ली सुधि ? पर सुनलो ऐ एहसान फारमोशों कान खोल तुम सुन लो जितने भी अफज़ल आएंगे हर अफज़ल को हम मारेंगे। जितने याकूब जवान होंगे हम उनकी नस्ले काटेंगे। अपनी जान की तुम फ़िक्र करो तुम कहाँ कहाँ तक

प्रबल त्याग की वीर गाथा

प्रबल त्याग की वीर गाथा  प्रबल त्याग की वीर गाथा  जिसको है इतिहास  भी गाता  जो वीरों का मान बढ़ाता  रणधीरों की पहचान बताता  प्रबल त्याग की वीर गाथा । चीख रही चित्तोड़ हवेली खेली जहाँ थी खून की होली । आज भी है वहाँ गूँजती उस अमर त्याग की वीर गाथा ।                                                                               घोर घनेरी रात वो थी लगती अमावस रात वो थी । शोणित से सनी तलवारें गूँजी भय से व्याकुल मन थर्राया । लेने इक मासूम का जीवन बनबीर वहां पर तब आया । सत्ता की लालच में उसने अपनों का था रक्क्त बहाया । पता चले है जीवित वारिस तब खडग उठा था वह लाया । जब\तक उदय सिंह है जिन्दा कैसे मेवाड़  मेरा होगा । सोच लिया मैं जीतूँगा उदय को अब मारना होगा । चल निकला वह राजभवन खोज रहा था वारिस को। भूल गया लेकिन वहाँ था कोई जो बचा रहा था वारिस को । पन्ना ने अपने राजदुलारे लाल को खुद से दूर किया। बचा सके ताकि वो उदय को अपने लाल का त्याग किया । बदल दिया था बच्चों को उदय को अपना लाल कहाँ । सुला दिया अपने बेटे को निर्मम मौत थी खड़ी  जहाँ । जब आया वह क्रूर