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Showing posts from May, 2018

मेरी कलम...

तीर नहीं तलवार नहीं, कोई बरछी और कटार नहीं  कोई ज़हर नहीं, ना ख़ार कोई, कोई ज़ंगलगा हथियार नहीं  एक कलम मेरी बलशाली है, खाली जाता ना वार कभी| कलम से बढ़कर तेज़ कभी तलवारों में भी धार नहीं| जब जब काग़ज़ पर स्याह बहे,लहू से कलम इतिहास रचे  पीकर गरल का घूँट कलम, हो जाती है सदा को अमर अजय कलम अनल संचार करे,भरती शरों में शक्ति अभय  क्रान्ति की चिंगारी सुलगाती,कलम तेरी सदा को जय| मधुपान सभी करते निस दिन जब मदिरालय में उजियाली है तब विष पीकर बैठी मेरी कलम बड़ी मतवाली है  मद में होकर चूर सभी जब वक्त बिताया करते हैं  तब मेरी ये कलम क्रान्ति का दीप जलाया करती है| और कभी फिर कलम मेरी लिखती है गीत प्रेम के भी  अल्फाज़ों का लिए सहारा लिखती है जज्बातों को भी इंकलाब और इश्क दोनों ही मेरी कलम की है पहचान  नित नित लिखती बीज सृजन का,सृष्टि में डाले नई जान| -रजत द्विवेदी 

अंगारों पर चल कर देखो...

पथ पर देखो है कठिनाई नियति तुझे परखने आई दिखा बल तुझमें है कितना अब कुछ तो निश्चय करके देखो कोमल राहें छोड़ कभी तो अंगारों पर चल कर देखो| देख सहर नयी हुई आज फिर उत्तेजित है सूर्य आज फिर कुछ तो नया सृजन करने को संकल्प हृदय में करके देखो कोमल राहें छोड़ कभी तो अंगारों पर चल कर देखो| समरभूमि तुझे पुकारती तुझको ही है निहारती आज सूरमा बन रण में फिर संकल्प विजय की करके देखो कोमल राहें छोड़ कभी तो अंगारों पर चल कर देखो| बचपन का खेल अब बहुत हुआ गफ़लत का आलम बहुत हुआ अब जिम्मेदारियाँ काँधे धर कर कुछ बोझा सर पर ढ़ोकर देखो कोमल राहें छोड़ कभी तो अंगारों पर चल कर देखो| -रजत द्विवेदी 

वसुधा करे पुकार...

वसुधा करे पुकार,'कहाँ पर छिपा है मेरा लाल?' न्याय,धर्म का ज्ञानी,भुजबल शक्ति का अभिमानी  वो वीर व्रती महादानी, जिसकी शौर्य कीर्ति अपार| वसुधा करे पुकार| वसुधा करे पुकार,कहाँ है चन्द्रगुप्त बलवान?  नियति फल का दर्प नहीं, वो वीर कर्म प्रधान  झेलम में उठती लहरों सा, वीरता की पहचान| वसुधा करे पुकार| वसुधा करे पुकार कहाँ है चाणक द्विज महान?  पटना से गांधार तक जिसने किया एक सुर गान  निष्ठुर,व्रती,राष्ट्रभक्त वो,तक्क्षीला का अभिमान| वसुधा करे पुकार| वसुधा करे पुकार कहाँ है राय पिथोरा आज?  कहाँ गुम हुए वीर प्रताप और छत्रपति महाराज?  कहाँ गायब है अल्हा उदल, कहाँ छिपा छत्रसाल?  वसुधा करे पुकार| वसुधा करे पुकार कहाँ हैं भगत सिंह,आज़ाद?  कहाँ गुम हुई बिस्मिल की ग़ज़लें, कहाँ है गुम अशफ़ाक?  और कहो कि कहाँ गुम हुआ शेर-ए-हिन्द सुभाष?  वसुधा करे पुकार| वसुधा करे पुकार, 'क्या हुआ आज मेरा हाल?'  मेरे वीर पुत्र सब कट गए, करने मुझे आज़ाद| किन्तु हाय अब कोई नहीं यहाँ जिसे कहूँ मैं लाल| सब के सब डर कर रहते हैं, अजब मुल्क का हाल| वस