भारत बखान कनक समान चमकती तेरी कीरत सदा निरंतर है । ऐ भारत माँ है तेरी कथा ये जीवंत अभी भी सुन्दर है । सुन ऐ जननी तेरी गाथा अब मैं जग में फैलाता हूँ । तेरे मन में जो उठे बहुत उन व्यथाओं को सुनाता हूँ । राह में चलते मुझे मिला एक रही भोला भाला सा । पूँछ रहा जो मुझसे माता कहा कहूँ मैं तेरी कथा । अब माता ध्यान से तुम सुनना जो कथा उसे सुनाई थी। करना याद अपना गौरव जब सोने की चिड़िया तू कहलाई थी । अब शुरू करता हूँ मैं ओ राही ये भारत माता का बखान । सुखदाई गौरवशाली स्वर्णिम है ये भारत बखान । सिंधु तीर पर प्रगट हुई एक ज्वाला तेज तपोबल की सिखलाया जिसने जीना है पहचान हमारे जीवन की । सिंधु घाटी की सभ्यता जो भारत का है अभिमान है ये भारत बखान । हिंद्कुश से अरुणाचल तक फैला था विस्तृत राष्ट्र हमारा । मधुमय सुन्दर देश हमारा । पर बट बट कर दशकों तक आधा हो गया देश हमारा । टूट गए इसके हर अंग इतिहास में ओझल हुई पहचान जिसकी है ये कथा बखान । प्रकट हुई जहाँ पर ज्योति राम कृष्ण और शंकर की । लोग जहाँ पर बांच रहे है
कलम की स्याही से हर पल नया अंगार लिखता हूँ