आर्जी हुकूमत-ए-हिन्द पर है जान न्योछावर सौ सौ बार। हिन्द की आज़ादी पर बलिदान जवानी सौ सौ बार। वीर सुभाष की सेना को अभिमान रहेगा सौ सौ बार। दिया है भारत माता को सम्मान समूचित सौ सौ बार। कितने बरसों से रहा है अरमान हमें ये सौ सौ बार। उमुक्त गगन में फहराए अपना तिरंगा सौ सौ बार। कितने कट गए शीश चढ़ाने मां के पग में सौ सौ बार। छोड़ दी वीर सुभाष ने अपनी पहचान यहां पर सौ सौ बार। अमर रहेगा प्रेम वतन से, मान बढ़ेगा सौ सौ बार। पूछेगा कोई शहदत अपना नाम रहेगा सौ सौ बार। टूटेगा ना कभी भी ये, अभिमान रहेगा सौ सौ बार। मरते दम तक मुख भारत नाम रहेगा सौ सौ बार। - रजत द्विवेदी
कलम की स्याही से हर पल नया अंगार लिखता हूँ