कुछ गुमनाम हुए , कुछ फ़ना हुए वतन की आबरू बचाने , | ना जाने कितनी जवानी आबाद हो गई हैं गुमनाम है आज मुल्क का नेता , पहचान तक गुम है वक्त की रेत में और तुम कहते हो चरखे ने आज़ादी दिलाई है | घर छोड़ा , मुल्क छोड़ा , पहचान बदल ली बस मुल्क की खातिर पर लोग कहते हैं खादी ने जीत दिलाई है | अरे कभी तो मान लो साहब इस शेर - ए - हिन्द ने ही आज़ादी दिलाई है | -रजत द्विवेदी
कलम की स्याही से हर पल नया अंगार लिखता हूँ