पुरुष प्रकृति जो चित्त मोह करता है, नारी में बस सुंदरता खोजा करता है। नारी पौरुष का बल देखा करती है, पुरुषों की प्रतिभा को परखा करती है। पुरुषों में अभिलाषा बस तन छूने की, नारी की प्रकृति होती है मन छूने की। जब तक ना त्रिया नर में कुछ बल पाती है, नर को ना कभी तब तक वह अपनाती है। है भले पुरुष में निहित प्रकाश भुजबल का, बिन नारी नहीं कुछ भी परिचय प्रियतम का। नारी से ही है पुरुष सम्मान जगत में पाता, नारी ना हो तो नर को न कोई अपनाता। नर नारी का ये जोग प्रेम का बल है, नारी से ही मिलता नर को संबल है। नारी सृष्टि, नर ही उसका सृजन है, ये मेल परस्पर से ही चलता जीवन है। - रजत द्विवेदी https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/hai-puruss-prkrti-jo-citt-moh-krtaa-hai-naarii-men-bs-khojaa-qpeys
कलम की स्याही से हर पल नया अंगार लिखता हूँ