हिमकिरिट शुभ शैल शिखर पर, विस्तृत फैले अम्बर पर से, आता एक स्वर्णिम प्रकाश है। कंचन जैसा चमक रहा जो हिम से ढका शिव का कैलाश है। कितनी विभाओं से सुशोभित, देखो आज मेरा आकाश है। मैं 'भारत', गंगा का पुत्र हूं, मुझको हिमालय पर नाज़ है। सदियों से अडिग खड़ा हिमालय मेरी रक्षा का करता है ये। कोटि कोटि मुनियों को आश्रय देता, शिव को मस्तक पर धरता है ये। गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र को जन्म दिया करता है ये। मुझ भारत की धरती को जीवन का दान दिया करता है ये। बड़भगी मैं हूं जिसके ऊपर हिमालय खड़ा है अडिग अचल। कठिन समय में जिससे मुझको मिलता जीवन का संबल। हिम बिना भारत कुछ नहीं, हिमालय है प्रतिबिंब मेरा। जब तक हिमालय जीवित है, तब तक रहेगा अस्तित्व मेरा। - रजत द्विवेदी https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/himkiritt-shubh-shail-shikhr-pr-vistrt-phaile-ambr-pr-se-ek-oaepd
कलम की स्याही से हर पल नया अंगार लिखता हूँ