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Showing posts from March, 2019

हिमालय

हिमकिरिट शुभ शैल शिखर पर, विस्तृत फैले अम्बर पर से, आता एक स्वर्णिम प्रकाश है। कंचन जैसा चमक रहा जो हिम से ढका शिव का कैलाश है। कितनी विभाओं से सुशोभित, देखो आज मेरा आकाश है। मैं 'भारत', गंगा का पुत्र हूं, मुझको हिमालय पर नाज़ है। सदियों से अडिग खड़ा हिमालय  मेरी रक्षा का करता है ये। कोटि कोटि मुनियों को आश्रय देता, शिव को मस्तक पर धरता है ये। गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र को जन्म दिया करता है ये। मुझ भारत की धरती को जीवन का दान दिया करता है ये। बड़भगी मैं हूं जिसके ऊपर हिमालय खड़ा है अडिग अचल। कठिन समय में जिससे मुझको मिलता जीवन का संबल। हिम बिना भारत कुछ नहीं, हिमालय है प्रतिबिंब मेरा। जब तक हिमालय जीवित है, तब तक रहेगा अस्तित्व मेरा। - रजत द्विवेदी https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/himkiritt-shubh-shail-shikhr-pr-vistrt-phaile-ambr-pr-se-ek-oaepd

अलगाव

इक शजर से टूट कर गिरता उसी का अंग था, भेद क्या था उन में जो, वो एक जैसा रंग था। हो अलग जो वृक्ष से वो टहनी बलखाने लगी, इस तरह विद्रोह का भी एक अपना ढंग था। हां मगर चमकने लगा आलोक जब उसमें अलग, जीण वृक्ष से कुछ अलग दिखने लगा वह अंग था। कहने को तो गलत था कि शजर से जो अलग हुआ, हां मगर अलगाव से उसको मिला नया रंग था। कभी कभी पहचान बनाने के लिए ये चाहिए, हर दरख़्त की शाख को सब जुदा होना चाहिए। फिर पता चलती अकेले की अलग पहचान है, कौन कब तक को भला करता रहे अभिमान है। ज़र्रे ज़र्रे को हयात से कभी कभी रूठना चाहिए, हर किसी का किसी से कभी साथ छूटना चाहिए। जब मनुज होता अकेला, ख़ुद को है पहचानता, औरों की करुणा ठुकरा कर मान अपना जानता। - रजत द्विवेदी https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/ik-shjr-se-ttuutt-kr-girtaa-usii-kaa-ang-thaa-bhed-kyaa-thaa-n3uzg