कभी करे श्रृंगार जगत का, कभी विनाश की तैयारी|
कभी खड्ग सी वार करे और कभी घाव पर मरहम सी
कभी समर संघोष करे और कभी करे जग में शान्ति|
अमित अनल संचार शरों में करे, कलम की शक्ति अपार
सिंहासन तक हिल जाते हैं जब जब शब्द करें हुंकार|
शस्त्र कलम सी नहीं जगत में,कलम वीरता की भरमार
क्रान्ति बीज बोती कागज़ पर,गढ़ती नये नये अंगार|
-रजत द्विवेदी
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