पथ पर देखो है कठिनाई
नियति तुझे परखने आई
दिखा बल तुझमें है कितना अब
कुछ तो निश्चय करके देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
देख सहर नयी हुई आज फिर
उत्तेजित है सूर्य आज फिर
कुछ तो नया सृजन करने को
संकल्प हृदय में करके देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
समरभूमि तुझे पुकारती
तुझको ही है निहारती
आज सूरमा बन रण में फिर
संकल्प विजय की करके देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
बचपन का खेल अब बहुत हुआ
गफ़लत का आलम बहुत हुआ
अब जिम्मेदारियाँ काँधे धर कर
कुछ बोझा सर पर ढ़ोकर देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
-रजत द्विवेदी
नियति तुझे परखने आई
दिखा बल तुझमें है कितना अब
कुछ तो निश्चय करके देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
देख सहर नयी हुई आज फिर
उत्तेजित है सूर्य आज फिर
कुछ तो नया सृजन करने को
संकल्प हृदय में करके देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
समरभूमि तुझे पुकारती
तुझको ही है निहारती
आज सूरमा बन रण में फिर
संकल्प विजय की करके देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
बचपन का खेल अब बहुत हुआ
गफ़लत का आलम बहुत हुआ
अब जिम्मेदारियाँ काँधे धर कर
कुछ बोझा सर पर ढ़ोकर देखो
कोमल राहें छोड़ कभी तो
अंगारों पर चल कर देखो|
-रजत द्विवेदी
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