वसुधा करे पुकार,'कहाँ पर छिपा है मेरा लाल?'
न्याय,धर्म का ज्ञानी,भुजबल शक्ति का अभिमानी
वो वीर व्रती महादानी, जिसकी शौर्य कीर्ति अपार|
वसुधा करे पुकार|
वसुधा करे पुकार,कहाँ है चन्द्रगुप्त बलवान?
नियति फल का दर्प नहीं, वो वीर कर्म प्रधान
झेलम में उठती लहरों सा, वीरता की पहचान|
वसुधा करे पुकार|
वसुधा करे पुकार कहाँ है चाणक द्विज महान?
पटना से गांधार तक जिसने किया एक सुर गान
निष्ठुर,व्रती,राष्ट्रभक्त वो,तक्क्षीला का अभिमान|
वसुधा करे पुकार|
वसुधा करे पुकार कहाँ है राय पिथोरा आज?
कहाँ गुम हुए वीर प्रताप और छत्रपति महाराज?
कहाँ गायब है अल्हा उदल, कहाँ छिपा छत्रसाल?
वसुधा करे पुकार|
वसुधा करे पुकार कहाँ हैं भगत सिंह,आज़ाद?
कहाँ गुम हुई बिस्मिल की ग़ज़लें, कहाँ है गुम अशफ़ाक?
और कहो कि कहाँ गुम हुआ शेर-ए-हिन्द सुभाष?
वसुधा करे पुकार|
वसुधा करे पुकार, 'क्या हुआ आज मेरा हाल?'
मेरे वीर पुत्र सब कट गए, करने मुझे आज़ाद|
किन्तु हाय अब कोई नहीं यहाँ जिसे कहूँ मैं लाल|
सब के सब डर कर रहते हैं, अजब मुल्क का हाल|
वसुधा करे पुकार|
-रजत द्विवेदी
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