ज़मीं से आसमां को जोड़कर देखा है,
फलक से चांद को तोड़ कर देखा है।
है बस एक ही वो शक्स ऐसा जहां में,
जिसने हवाओं को मोड़कर देखा है।
कि होती ना गुंजाइश कभी बाकी घर में
कि किसी की घर में हसरतें अधूरी हों।
जो है वो इंसान रूपी फरिश्ता घर में,
तो हर एक ज़िद हमारी पूरी हो।
कोई चट्टान सी एक ढाल हो जैसे
जो घर को हर दफा बचाता है।
या कि कोई बागबान फूलों का,
जो बस प्रेम ही बरसाता है।
चिंता लाख सताती हैं मन को,
मगर ना किसी को भी बताता है।
जो बिखरे तो दरिया सा बहता है,
जो सिमटे तो चट्टान हो जाता है।
है कहां कौन पिता सा दूजा,
जो बिना कहे प्रेम जताता है।
जिसे सब लोग देवता कहते हैं,
वो जहां में "पिता" कहलाता है।
- रजत द्विवेदी
https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/jmiin-se-aasmaan-ko-joddkr-dekhaa-hai-phlk-se-caand-ko-todd-roq6f
फलक से चांद को तोड़ कर देखा है।
है बस एक ही वो शक्स ऐसा जहां में,
जिसने हवाओं को मोड़कर देखा है।
कि होती ना गुंजाइश कभी बाकी घर में
कि किसी की घर में हसरतें अधूरी हों।
जो है वो इंसान रूपी फरिश्ता घर में,
तो हर एक ज़िद हमारी पूरी हो।
कोई चट्टान सी एक ढाल हो जैसे
जो घर को हर दफा बचाता है।
या कि कोई बागबान फूलों का,
जो बस प्रेम ही बरसाता है।
चिंता लाख सताती हैं मन को,
मगर ना किसी को भी बताता है।
जो बिखरे तो दरिया सा बहता है,
जो सिमटे तो चट्टान हो जाता है।
है कहां कौन पिता सा दूजा,
जो बिना कहे प्रेम जताता है।
जिसे सब लोग देवता कहते हैं,
वो जहां में "पिता" कहलाता है।
- रजत द्विवेदी
https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/jmiin-se-aasmaan-ko-joddkr-dekhaa-hai-phlk-se-caand-ko-todd-roq6f
Comments
Post a Comment