हो जाते दो एक लतीफ़े फ़ना सियासत वाले
या खो जाते हैं चन्द किस्से प्रेम प्रसंगों वाले
शायद गुम हो जाते होंगे गीत प्रशंसा वाले
मगर वीरता की कहानियाँ कभी नहीं मर सकती|
खो सकते हैं रुप स्वरूप या सुर ताल किसी कविता के
बिखर बिखर कर गुम हो सकते छन्द किसी के सुर के
शायद दोहे और चौपाई भी न बँध पाते होगें
मगर अलंकृत काथा वीर की कभी नहीं मर सकती|
लिखी कभी जो वीर कहानी,वीर कथा कभी रण की
नरमुण्डों की माला डाले बीर बाकूँरे नर की
या कि लिखा बखान कभी जो वीरों के परिजन का
त्याग,प्रेम,और सहनशक्ति का,निष्ठा अचल अविचल का
तो शायद तुम समझ सकते हो कितना यह दुष्कर है
कि लिख दें हम कुछ शब्दों में जो त्याग सदा अमर है
कहो भला कैसे वीरों की गाथा मिट सकती है?
वीर बाकूँरों की कहानी कभी न मर सकती है|
-रजत द्विवेदी
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