नभमंडल आज पुकार उठा,
लो एक नया हुंकार उठा।
तारों का फिर अंबार लगा,
चंदा में भी अंगार उठा।
चलती हैं तेज हवा देखो,
छट रहा बादल घना देखो।
रौशनी प्रचण्ड हो आई है,
तम से अब रार मचाई है।
कण कण ने तीव्र स्वास लिया,
आंधी में भी जलता है दिया।
सुर नभ में जाग उठे देखो,
सब निश्चर भाग उठे देखो।
चंदा,जुगनूं सब सूर्य हुए,
अंधकार सभी के दूर हुए।
पूनम हुई अमावस की निशा,
हैं जाग गई चारों दिशा।
आया है समय निर्वाण का,
पल है अब नए निर्माण का।
जागी है तिमिर में लौ देखो,
चढ़ गई सभी की भौ देखो।
सबने अब मन में ठानी है,
अब तो मशाल जलानी है।
इस भीषण काली रात में अब
एक भोर नयी जगानी है।
कल होगा नया प्रभात जग में,
भर जाएगा नया प्रकाश नभ में।
चर अचर सभी सजीव होंगे,
जीवित फिर से निर्जीव होंगे।
जग में होगा फिर नया सृजन,
होंगे सुखी सब मानव जन।
हर तरफ प्रगति की चले लहर,
खुशनुमा हो जाए सम्पूर्ण दहर।
- रजत द्विवेदी
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