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आल्हा वीर रस


आवा बन्धु,आवा भाई सुना जो अब हम कहने जाए।
सुना ज़रा हमरी ये बतिया, दै पूरा अब ध्यान लगाय।
कहत हु मैं इतिहास हमारा जान लै हो जो जान न पाए।  
जाना का था सच वह आपन जो अब तक सब रहे छुपाय।
Image result for bharat mataजाना का था बोस के सपना,जो अब सच न है हो पाए।
जान लो का था भगत के अपना, जो कीमत मा दिए चुकाय।
जाना काहे आज़ाद हैं  पाये वीर गति अरु बीर कहाय।
जान लो काहे शेर मर गए ,हो गए गीदड़ सिंह कहाय ।।१॥

ये आल्हा बरनन है उनखर,जो भारत के लाल कहाय।
बड़ी अनोखी उनखर गाथा,हमके उनखर याद दिलाय।
उन जोधन के राष्ट्रप्रेम के कोउ प्रेमी पार न पाए।
ऊ मतवाले अलबेले थे,अपना ऋण जे दिए  चुकाय।
पहिन लिहिन सब कफ़न बसंती, वीरगति को पाना चाय।
एक से एक भयंकर जोधा,बरछी तीर कटार के नाइ।
एक से एक विद्वान पुरोधा जो भक्ति का गीत सुनाय ।।२॥

बाजत रहे संख समर के,देत सुनाई वीर पुकार।
रणभेरी गूँजी थी अइसन,उत्तेजित होते नर नार।
करमभूमि फिर धरती बन गई ,होवत रहे वार पे वार।
रंगी खून से धरती माता, बीर सुतन के होत संघार।
वह थे बीर बाँकुरे प्यारे, जो जीते थे बाज़ी  मार।
फिर भी कइसे  कह देते हो, चरखा ही है विजय दिलाय  ?
जान लै को था सच्चा नायक,जउन रहा था बीर कहाय।।३॥

नहीं नहीं थी आज़ादी वो जो पंडित नेहरू हो लाय।
नहीं नहीं थी आज़ादी वो जिसपर गाँधी हो भरमाय।
नहीं नहीं थी आज़ादी वो जो अंग्रजों की हार कहाय।
वो तो आज़ादी थी भैया नाम सुभाष के भय की जाय।
वो  तो आज़ादी थी मित्रों जो भगत के प्यार कहाय।
वो बलिदानी थाती थी जो नाम अज़ाद से जाना जाए।
वो उपहार था बिस्मिल का जो सरफ़रोश है होत कहाय ।।४॥

सुना  बिस्तार से अब जे  गाथा ,सुना  ज़रा तुम ध्यान लगाय।
सुना ज़रा वो गर्वित वाणी जो भारत के मान बढ़ाए ।।क॥


Image result for bismilबिगुल फूँकि कै आज़ादी के,अशफ़ाक़ लिए बिस्मिल संग आये।
साथ रहे संग चंदशेखर भी ,बड़े बीर धीर थे आये।
बाद आ गये भगत,राजगुरु,अरु सुखदेव साथ थे आये।
सोच लिया जो एक बार फिर,रंग बसंती दिए उड़ाए।
खेलन को सब लहू की होली,बाकि रंग थे दिए छुड़ाए।
लाला केसर अउर  तिलक के पथ के राही बनते जाए।
जैसे जैसे आगे बढ़ते कोउ न कोउ जुड़ते  जाए।
वतन मादरे ले संदेसा सगळे जोधा रहे मुसकाय ।। ५ ॥

Image result for bhagat singhजह जह देखे रंग तिरंगा सब के सब मन में हर्षाय।              
जहाँ भी देखे गोरन के सब ,दिल की पीड़ सही न जाए।
डोलत हो छाती पर जइसन कोई जीव नाग की नाइ।
चीरत कोउ कटारी जइसे हमरे तन के प्रान ले जाए।
कइसे देखि अपनी माता के कोउ इज्जत लूट ले जाए।
बइठे नहीं कोउ रणजोधा देखे जो मूरत की नाइ।
सब वीरन मा आगि भभकती इंकलाब है करना चाय।
ध्वंस करत गोरन के ठिकाना अउर भयंकर लूट मचाये ।। ६॥

आपन आग से देत जलावत,अंग्रजों को धुल चटाये।
काकोरी हो या हो लाहोरी,खेलत चौरा चौरी जाए।
जेल हो या हो बीच बजरिया इंकलाब के सुर में गाये।
देख के इंखर पागलपन के, सत्ता भूखे तड़पे जाए ।।७क॥

अपनी झूठी सान दिखावन,भगत के सूली पे दे चढाएं।
परपंचों का खेला खेले गद्दारों की बात सुहाय।
गद्दारी करते करवाते, चंदशेखर को भी घेरे जाए।
पर क्या जाने अज़ाद राजा को,उनकी तो कछु समझ न आए।
थे आज़ाद रहे आज़ाद मरे आज़ाद आज़ाद कहाय ।।७ख॥

Image result for azad chandrashekharकोउ न भेद सके है छाती भारत माता जहाँ लिखाय ।
भगत आज़ाद के बलिदानों से भारत धरती धन्य हो जाए ।। ख॥


नाही थमत है कोउ जन अब सब भगत ही मन मा गाएं।
कर प्रणाम आज़ाद राज को, सब बाघी हैं बनते जाएँ।
चहु दिस आँधी एक भयानक सब परखच्चे लेत उड़ाय।
धूल चटाने हर पापी को,शिक्षक भी है शस्त्र उठाय।
बातन के अब वक़्त नहीं अब लातं के ही खेल सुहाय ।
हिन्द सागर में ज्वार है उठता,आओ तुमको देत दिखाय ।
रूप धरे बिकराल समर मा शिव ताण्डव हैं रहे मचाय ।
एक से एक महाभट जोधा देस नाम पर कटते जाएं ।। ८॥

फिर भी गीत सुनावत मूरख,कहें हैं चरखा विजय दिलाय।
भरम में जीते सारे नर हैं ,सच्चे नायक देख न पाएं ।। ग॥



अब सुनि उनखर भी बतिया जो वीरों के है वीर कहाय ।
हमरे सच्चे महा रणजोधा वीर सुभाषचंद्र कहलाये ।
कटक की धरती पुण्य करि गए जब थे जनम हुआँ पर पाए ।
भारत को है सदा गर्व,तुम देश के सच्चे लाल कहाय ।।९क॥

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कोउ नही तुम सम करमवीर है,जो हो आपन घर के त्यागे ।
देश हित मा नाम भुलाये,चोरन के जइसन हो भागे ।
जगह जगह पर नाम बदलते,रहते अंग्रेजन से आगे ।
पहुँच गए जर्मनी इ जोधा,हिटलर से भी हाथ मिलावे ।।९ख॥

हिन्द के साँचे वीरान को ले अपनी हिन्द सेना थे बनाय।
जर्मनी मा भी गावै लागे जय हिन्द के गीत सुनाय।
जहाँ भी देखो वन्दे मातरम के रणभेरी गूँज सुनाय।
ले हिटलर के सहायता फिर अब  जपान की ओर थे बढ़ते जाय ।।९ग॥

फेर बढ़ चले हिन्द फ़ौज संग चल पड़े फिर बर्मा के द्वार ।
घुसने लगे फिर भारत में अरु जुड़ने लगे थे नर अरु नार।
हर घर में एक जाग रहा था जइसे कउनो वीर सुभाष।
जलत रहे हर मन मा आगि चलती रहे तेज फिर स्वास।
जहाँ भी देखा बिगुल बज रहे गूँज रहे इक नाम सुभाष।
जइसे पूरा होने वाला त्याग अजाद के,भगत की आस।।१०॥

उठती हुई ज्वाल छाती के रही भभकती फिर से आज।
आ पहुंची हिन्द फ़ौज है  फिर अब इम्फाल के रण मा आज।
समरविजय की आस लिए भारत मान के सर के ताज।
कूद गए सभी रनजोधा रखते रहे हिन्द की लाज।
पर कुछ गद्दारन के कारन,हार गए वह रण भी आज ।
पर नही ख़त्म हुआ जे समर है अभी भी होगा हिन्द आज़ाद।
ले सपना ये आगे बढ़ते हार न माने वीर सुभाष।
हिन्द फ़ौज के हाहाकार से थरथर कापें थे अंग्रेज।
फूंट पड़ी फिर ब्रिटिश सेना में विरोधी लहर थी बहुत  तेज।।११॥

छब्बीस सहस्त्र हिन्द फ़ौज के, सैनिक हो गए समर में ढेर।
चिंगारी आज़ादी के निकली,छोड़त चाहे देश अंग्रेज़।।घ॥

पर सुभाष गायब होइ जाएं,सब उनको फिर रहे बिसराय।
कहाँ गाये ई लौहपुरुष फे, कोउ जनता जान न पाए।
ना कोई खोज खबर ना कोई सुधि थी उनकी देत जनाय।
पाकर मौका आज़ादी  के,सत्ता भूखे सुखी दिखाय।
बटवारे के खेल है खेले,आपन स्वारथ सिद्ध कराय।
हीरो बनते नेहरू जी अरु नेताजी को भूले जाएं।
जो रहा था बीर बांकुरा,गीदड़ उसको दिए हराय।
कहा गए वीर बोस, ये  कोउअब तक जान न पाए।। १२॥

सुना ज़रा अब गौर से सुन लै,आज़ादी सुभाष की जाए।
नही है कोई चरखा जो हो अज़ादी अपनी ले आये।   
सिर्फ भगत है सिर्फ अजाद अरु सिर्फ सुभाष ही वीर कहाय।
रणभूमि मा शस्त्र हैं चलते शास्त्र कभी भी चल न पाए ।
समझ लियो जो समझ सको तो हमरी बात का रहे बुझाय ?
वीर वसुंधरा है उसकी जो रणजीते अरु बीर कहाय ।।१३॥

-रजत द्विवेदी

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AA GAYA EK AUR DEEWANA LIKH GAYA NAYA FASANA YAAD MEIN APNE WATAN KI LUT GAYA THA PARWANA JAB CHADA PYAAR KA  PARWAAN LE AAYA YE KHUD KE SAATH EK BHAYANKAR TOOFAN. TAB DIKHA VEERON KA JAUHAR HO GAYA KHUD KURBAAN PAR NA JAANE DI THI ISNE APNE BHARAT KI AAN. YAAD KARTE HUM RAHENGE TERA YE  VIKAT BALIDAAN. TUME TO BADHA HI DI HAI DESHPREMIYON KI SHAAN. LONG LIVE YOUR GLORY SANDEEP  UNNIKRISHNAN. -R.D

मेरी पहचान

हिंद महासागर में उठता,कोई भीषण ज्वार हूँ मैं शंकर के डमरू में उठता महाप्रलय हुंकार हूँ मैं गंगा की निर्मल लहरों में जैसे मौज अपार हूँ मैं   नारायण का स्वयं मैं जैसे कोई रूप विस्तार हूँ मैं   दिनकर की रेशम किरणों का नभ में फैला हार हूँ मैं चाँद का चकोर हूँ,अगनित तारों का यार हूँ मैं   तुलसी का रघुबीर,मीरा का निश्छल प्यार हूँ मैं शंकर की कोई प्रतिमा या निर्गुण शिव जग का आधार हूँ मैं रणधीर समर में अडिग खड़ा वीरता की भरमार हूँ मैं रग रग में करता जैसा पौरुष का संचार हूँ मैं नरसी भगत सा प्रेमी हूँ,भक्ति का अनुपम सार हूँ मैं  सभी संवेदनों से भरा, खुद में ही संसार हूँ मैं -रजत द्विवेदी