अभिनंदन है, अभिनंदन
इस नई सुबह का अभिनंदन
दिनकर का भी हो अभिनंदन
हर वन्य कुसुम का अभिनंदन
भंवरों का भी हो अभिनंदन
वन जीवन का हो अभिनंदन।
हर शाख़ लता का अभिनंदन
हर नई घटा का अभिनंदन
कोयल का हो अभिनंदन
मयुरों का भी अभिनंदन
सिंहों का भी अभिनंदन
गजराजों का भी अभिनंदन।
हर नगर गली का अभिनंदन
हर चौबारों का अभिनंदन
लगता है सुबह का रेला जहां
हर उस कूंचे का अभिनंदन
हर घर का हो अभिनंदन
आंगन गलियारे का अभिनंदन।
हर किसी से करें अभिनंदन
हर किसी का करें अभिनंदन
आई है सहर आज ये नई
घर में हो इसका अभिनंदन
भर दे किरणें ये खुशियों की
सब करें आओ अभिनंदन।
-रजत द्विवेदी
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