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एक सलाम है उनको भी....................




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एक सलाम है उनको भी जो लड़ते रहे तूफानों से,
देश प्रेम में मर मिटते, हैं अडिग खड़े चट्टानों से || १ ||

एक सलाम है उनको भी जो उपजे अन्न के दानों को,
पर खुद भूखे हैं मर जाते, मैं करूँ नमन किसानों को || २ ||

एक सलाम है उनको भी जो भरे लफ़्ज़ों में आग प्रखर,
हैं जान फूँकते शब्दों में, कवितायेँ जाती और निखर || ३ ||

एक सलाम है उनको भी जो गीत सुनाए जीवन का,
मधुर प्रेम अनुराग लिए जो राह दिखाए जीने का|| ४ ||

एक सलाम है उनको भी गढ़े कहानी रूमानी,
कहे लबों से ना कुछ भी, सब कह दें आँखें वो नूरानी || ५ ||

एक सलाम है उनको भी जो जिए ज़िन्दगी वीरों की,
बीर बाँकुरे राम भगत आज़ाद जैसे रणधीरों की|| ६ ||

एक सलाम है उनको भी शेर-ए-बंगाल सुभाष था जो,
गुमनामी में रहते थे, था दिया बड़ा बलिदान था जो|| ७ ||

एक सलाम है उनको भी उस राष्ट्रकवि दिनकर की जय,
लिखी कुरुक्षेत्र जिसने, साहित्य जगत को हुआ विस्मय || ८ ||


See the source imageएक सलाम है उनको भी जो भक्ति का देते परिचय,
तुलसी,सूर,कबीर,रहीम,नानक,देवदत्त की जय|| ९ ||

एक सलाम है उनको भी जो सच्चे प्रेमी प्रीतम के,
मीरा जैसा प्रेम करें और साथ सदा रहे प्रीतम के|| १० ||

एक सलाम है उनको भी बलिदान बीर आल्हा सा हो,
माँ शारदा की भक्ति में. जो कटा डाला सर आल्हा सा हो || ११ ||

एक सलाम है उनको भी वो अभिमानी गोरा बादल,
सरफ़रोशी थी कर डाली, अभिमान चित्तोड़ का बचा मगर|| १२ ||



एक सलाम है उनको भी सरदार के जैसा कोई नहीं,
अखंड किया इस भारत को, वैसे अब नेता कोई नहीं|| १३ ||

एक सलाम हैImage result for sardar patel उनको भी वो लाल बहादुर अब और नहीं,
सरल सहज किसानों के नेता, उनसे दूजा कोई और नहीं || १४ ||

एक सलाम है उनको भी है प्रेम कहानी अनुपम जिनकी
वो राम सिया या रुक्मणि किशन या राय पिथोरा सम्युक्ता सी || १५ ||

एक सलाम है उनको भी कहे बिना हैं सब सुनते,
ये दोस्त बड़े अपने से हैं, सब बात दिलों की ये समझें || १६ ||

एक सलाम है उसको भी जो दिल का टुकड़ा प्यारा है,
भाई अपना सारे जग में और सबों से न्यारा है || १७ ||


एक सलाम है उनको भी जन्मदाता जो मेरे हैं,
सारे जग की खुशियों के जिनके पास ही डेरे हैं || १८ ||

एक सलाम है उनको भी जिनकी यादों में हम खोये,
मान गए उन नयनों को जो बैरागी को भी डुबोये || १९ ||

एक सलाम है उनको भी पढ़ रहे हैं जो इन् छंदों को,
कई विचार मन में थे, प्रस्तुत हैं किये कुछ चंदो को|| २० ||

-रजत द्विवेदी


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विद्युत की इस चकाचौंध में.....

विद्युत की इस चकाचौंध में देख दीप की लौ रोती है। बहु नयनों में अंधियारा है, चंद घरों में ज्योति है। यह समाज क्यों गर्त में पड़ा, सुख की तान सुनाता है। थोथी बात बखाने ख़ुद की, तम से घिरता जाता है। आज पतन की राह पर चला है कारवां मानव का। भूख से ग्रसित तड़प रहे घर, खुल गया मुख दानव का। नगर के एक छोर पर देखो भात दाल ना रोटी है। दूजी ओर लुटाते देखो व्यर्थ में ही लोग मोती है। ये कैसा है फ़र्क जगत का एक हांथ में है लक्ष्मी, दूजे में है लिए हुए जो बिलख रही भूखी बच्ची। कहो क्यों भला नियति की झोली इतनी छोटी है। एक वर्ग को कंकड़ देता, दूजे को दे मोती है। विद्युत की इस चकाचौंध में देख दीप की लौ रोती है। बहु नयनों में अंधियारा है, चंद घरों में ज्योति है। - रजत द्विवेदी https://www.yourquote.in/rajat-dwivedi-hmpx/quotes/vidyut-kii-ckaacaundh-men-dekh-diip-kii-lau-rotii-hai-bhu-yh-r8tsi
AA GAYA EK AUR DEEWANA LIKH GAYA NAYA FASANA YAAD MEIN APNE WATAN KI LUT GAYA THA PARWANA JAB CHADA PYAAR KA  PARWAAN LE AAYA YE KHUD KE SAATH EK BHAYANKAR TOOFAN. TAB DIKHA VEERON KA JAUHAR HO GAYA KHUD KURBAAN PAR NA JAANE DI THI ISNE APNE BHARAT KI AAN. YAAD KARTE HUM RAHENGE TERA YE  VIKAT BALIDAAN. TUME TO BADHA HI DI HAI DESHPREMIYON KI SHAAN. LONG LIVE YOUR GLORY SANDEEP  UNNIKRISHNAN. -R.D

मेरी पहचान

हिंद महासागर में उठता,कोई भीषण ज्वार हूँ मैं शंकर के डमरू में उठता महाप्रलय हुंकार हूँ मैं गंगा की निर्मल लहरों में जैसे मौज अपार हूँ मैं   नारायण का स्वयं मैं जैसे कोई रूप विस्तार हूँ मैं   दिनकर की रेशम किरणों का नभ में फैला हार हूँ मैं चाँद का चकोर हूँ,अगनित तारों का यार हूँ मैं   तुलसी का रघुबीर,मीरा का निश्छल प्यार हूँ मैं शंकर की कोई प्रतिमा या निर्गुण शिव जग का आधार हूँ मैं रणधीर समर में अडिग खड़ा वीरता की भरमार हूँ मैं रग रग में करता जैसा पौरुष का संचार हूँ मैं नरसी भगत सा प्रेमी हूँ,भक्ति का अनुपम सार हूँ मैं  सभी संवेदनों से भरा, खुद में ही संसार हूँ मैं -रजत द्विवेदी